राहे तो मिली है मुझे पर तेरे बिन उन राहो में चलु कैसे
और ये सर्द अब सर्द कहा है,तेरे बिना इनमे अब वो दर्द कहां है
की इशक के नाम पर अब इश्क भी हो शर्मिंदा रहा है
न तेरे अन्दर न मेरे अंदर बता ये इश्क अब जिंदा कहा है
और अब इन महोब्बत की चाहो में चाह जैसी चाह कहा
न दर्द है ना दूरी है और न प्यार है अब इस दिखावे में वो मिलन कि आह कहा
feelings