मेरा हमसफ़र ही मेरे खयालात से खेलता है कमबख्त हर | हिंदी शायरी
"मेरा हमसफ़र ही मेरे खयालात से खेलता है
कमबख्त हर दफा मेरे जज्बात से खेलता है खामोश रहकर देखता हूं मैं गुस्ताखियां उसकी और वह है कि मेरे हालात से खेलता है"
मेरा हमसफ़र ही मेरे खयालात से खेलता है
कमबख्त हर दफा मेरे जज्बात से खेलता है खामोश रहकर देखता हूं मैं गुस्ताखियां उसकी और वह है कि मेरे हालात से खेलता है