White कि मत भागो इतना
कि दूर निकल जाओ,
रास्ता फिसलन भरा है
कहीं फिसल न जाओ।
जा रहे थे परदेश जब
तो कितना रोये थे याद है?
जाते जाते हमारे दिल में
कुछ ख्वाब संजोये थे याद है।
रिश्तों की लकीर है झीनी सी
काश आते उसे मिटा जाते,
या अपनों को संबल देकर
कुछ अपनापन जता जाते।
घर से तो चले गये कब के
दिल से न निकल जाओ,
इंतजार करती हैं घर की
बुनियादें आज भी
एक दफा चले आओ।
©दिनेश
#sad_shayari दूरियाँ