ठिठुर कर बैठें थे सर्दी में , तेरे कदमों की आहट ने गर्मी दे दी।
तलाश में थे सुकून की , तेरी एक चाय ने गर्मी दे दी ।।
सेक कर हाथ कई लकड़ियां तबाह की , तेरे हाथों ने गर्मी दे दी।
नींद की आगोश में थे कई रातों से , तेरी एक छूअन ने गर्मी दे दी।।
पी कर बैठें थे जाम पे जाम , तेरे होठों के प्यालों ने गर्मी दे दी।
रूखसत थी जिंदगी मुझसे इस क़दर, तेरी आगोश ने गर्मी दे दी।।
-🖋️ विj_kuश
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©विj
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