उड़ाने मशरूफ पर पंख मजबूर और झुका है आसमान यहां कह | हिंदी शायरी

"उड़ाने मशरूफ पर पंख मजबूर और झुका है आसमान यहां कह कर कि चल समेट लूं आजाद परिंदे तुझे हो ना कोई पिंजरा जहां... ©Meenakshi Singh"

 उड़ाने मशरूफ पर पंख मजबूर और झुका है आसमान यहां कह कर कि चल समेट लूं  आजाद परिंदे तुझे हो ना कोई पिंजरा जहां...

©Meenakshi Singh

उड़ाने मशरूफ पर पंख मजबूर और झुका है आसमान यहां कह कर कि चल समेट लूं आजाद परिंदे तुझे हो ना कोई पिंजरा जहां... ©Meenakshi Singh

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