"मैं फिर भी तुमको चाहूँगा, तू साथ रहे या हो दूरियाँ ,
तेरे दर्द को अपना मानूँगी ।
दुश्मन हो जाए सारा जहाँ ,
मै तुमसे हर वादा निभाऊँगी ।।
तेरे लबों की हंसी के लिए ,
हर लम्हा खुशी बन छा जाऊँगी ।
तेरे उन हसीन सपनों के लिए ,
थाम के हाथ तुझे राह दिखाऊँगी ।।
झोंका हवा का कैसा भी आए ,
कभी तुम्हें छोड़ के नहीं जाऊँगी ।
उम्र का पड़ाव कैसा भी आए ,
मैं फिर भी तुमको चाहूँगी ।।
©नंदिता मिश्रा"