आजकल दिखावे का चलन है लगभग हर कोई इसी मे मग्न है अ | हिंदी कविता

"आजकल दिखावे का चलन है लगभग हर कोई इसी मे मग्न है अब तो पहचान को भी दिखावा समझने लगे है लोग बुद्धि को भ्रमित कर खुली हंसी हँसने लगे है लोग माथे पे रोजाना टीके को पाते देख मंदिरों के सामने सर झुकाते देख एक ने पूछा , क्यों भाई क्यों करते हो तुम ये दिखावा ईश्वर दिल मे है उन्हे दिल से मानो ये तो है बहकावा दिखावा नही ये तो पहचान है हिंदू धर्म ही मेरा अभिमान है आपकी नजर मे ये दिखावा है तो दिखावा ही सही इस दिखावे को दिखाने मे मुझे कोई शर्म भी नही बाकी दिखावे से कोई परेशानी नही तो इस दिखावे से क्यों हैरानी वही? –Vikas Gupta ©Vikas Gupta"

 आजकल दिखावे का चलन है
लगभग हर कोई इसी मे मग्न है
अब तो पहचान को भी दिखावा समझने लगे है लोग
बुद्धि को भ्रमित कर खुली हंसी हँसने लगे है लोग

माथे पे रोजाना टीके को पाते देख
मंदिरों के सामने सर झुकाते देख
एक ने पूछा , क्यों भाई क्यों करते हो तुम ये दिखावा
ईश्वर दिल मे है उन्हे दिल से मानो ये तो है बहकावा

दिखावा नही ये तो पहचान है
हिंदू धर्म ही मेरा अभिमान है
आपकी नजर मे ये दिखावा है तो दिखावा ही सही
इस दिखावे को दिखाने मे मुझे कोई शर्म भी नही

बाकी दिखावे से कोई परेशानी नही
तो इस दिखावे से क्यों हैरानी वही? 

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta

आजकल दिखावे का चलन है लगभग हर कोई इसी मे मग्न है अब तो पहचान को भी दिखावा समझने लगे है लोग बुद्धि को भ्रमित कर खुली हंसी हँसने लगे है लोग माथे पे रोजाना टीके को पाते देख मंदिरों के सामने सर झुकाते देख एक ने पूछा , क्यों भाई क्यों करते हो तुम ये दिखावा ईश्वर दिल मे है उन्हे दिल से मानो ये तो है बहकावा दिखावा नही ये तो पहचान है हिंदू धर्म ही मेरा अभिमान है आपकी नजर मे ये दिखावा है तो दिखावा ही सही इस दिखावे को दिखाने मे मुझे कोई शर्म भी नही बाकी दिखावे से कोई परेशानी नही तो इस दिखावे से क्यों हैरानी वही? –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

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