"ना जाने कहा है वो , उसका कोई खबर नहीं आता,
उसके लिए लिखता हूँ गजलें मगर बहर नहीं आता,
आ जाती हैं उसकी यादे हर रोज सूरज की तरह,
मगर कमबख़्त कभी वो खुद नजर नहीं आता ।।
#PJ"
ना जाने कहा है वो , उसका कोई खबर नहीं आता,
उसके लिए लिखता हूँ गजलें मगर बहर नहीं आता,
आ जाती हैं उसकी यादे हर रोज सूरज की तरह,
मगर कमबख़्त कभी वो खुद नजर नहीं आता ।।
#PJ