गैरों से बेशक मिलो मगर फासला रखना
लूट लेते हैं लोग यहां अपना बनाकर।
माफ़ी मांग भी लिया करो
माफ भी कर दिया करो।
खुश रह ना पाओगे
गिले शिकवे दिल में दबाकर।
बुरी सोहबातो में
गुजार दिए कई दिन
कीमत अब समझ अाई वक्त की
वक्त गवाकर।
काम जो भी करो
सोच समझ के करना
जो किया वहीं देगी जिंदगी
आइना दिखाकर।
मां बाप के पैसे से
ख़्वाहिशें पूरी करने वालों
उनकी जरूरतें ही पूरी कर देना
खुद कमाकर।
*बबलेश कुमार*