धोखे की परछाई में धन खड़ा हो सकता है, पर ईमानदारी | हिंदी शायरी

"धोखे की परछाई में धन खड़ा हो सकता है, पर ईमानदारी की रोशनी में ही सम्मान खिलता है। धन तो पलभर का है, साहिब, पर सम्मान उम्रभर साथ चलता है। ©Srinivas"

 धोखे की परछाई में धन खड़ा हो सकता है, पर ईमानदारी की रोशनी में ही सम्मान खिलता है। 
धन तो पलभर का है, साहिब,
पर सम्मान उम्रभर साथ चलता है।

©Srinivas

धोखे की परछाई में धन खड़ा हो सकता है, पर ईमानदारी की रोशनी में ही सम्मान खिलता है। धन तो पलभर का है, साहिब, पर सम्मान उम्रभर साथ चलता है। ©Srinivas

धोखे की परछाई में धन खड़ा हो सकता है, पर ईमानदारी की रोशनी में ही सम्मान खिलता है।
धन तो पलभर का है, साहिब,
पर सम्मान उम्रभर साथ चलता है। शायरी हिंदी

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