मैं कल्पना चावला भी हूं मैं आयशा भी हूँ!
मैं इंदिरा गाँधी भी हूँ, मैं निर्भया भी हूँ!
मैं ऐश्वर्या राय भी हूं मैं लक्ष्मी भी हूँ !
मेरी पहुँच घर की रसोई से अंतरिक्ष तक है!
क्योंकि आज भी अगर किसी लड़की का रेप होता है उसको हमारा समाज बुरी नज़रों से देखता है !
उसी से सवाल करता है , तूने क्या कपड़े पहने थे , तू इतने रात को वह क्यों गयी !
आज भी अगर कोई लड़की घरेलू हिंसा से परेशान हो कर डाइवोर्स लेती है , तो वो करैक्टर लेस्स बन जाती है !
गर्ल फ्रेंड मॉडर्न चाहिए !
बीवी घूँघट वाली चाहिए !
आखिर कब तक यही मानसिकता रहेगी हमारे समाज में !
कब तक अग्नि परीक्षा नारी को ही देनी होगी !
कब तक!
क्यों न हम अपने विचारों में बदलाव लाए सभी महिलाओं के.जीवन को खुशहाल बनायें।
©Bhawna Taneja
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