अहले जमाना कुछ भी कहे पर
महबूब मेरा लाज़वाब है//१
बढ़ा देता है वोह मेरे दिल की,धड़कन,उसकी*रगबत बेहिसाब है//२*चाहत
लगा लेता है अपने*शानो पे तपाक से मुझे,वोह मेंहबूब,मेरा *आफताब है//३* कंधे,*सूरज
शरारत है उसमे,मुहब्बत भी गजब,शोखी और दिलेरी भी अजब,की वो मेरा चमकता *माहताब है//३*चांद