बहू सोच रही है सासू माँ तुमसे क्या कुछ कहूँ बेटा ज | हिंदी कविता

"बहू सोच रही है सासू माँ तुमसे क्या कुछ कहूँ बेटा जब मेरा न रहा तुम तो ठहरी बहू तुमको लेकर देखा है स्वप्न अनेकों मैंने टूट चुकें है ठोकर खा टूट गयें हैं डैने मातृभक्त बनता था गर्व मुझे था उस पर मुझे निकाला दिल से तुमने जबरन घुसकर बेखुद सुत मेरा था कल आज नहीं अधिकार चुप रह जाता देख सामने मुझ पर अत्याचार ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 बहू
सोच रही है सासू माँ
तुमसे क्या कुछ कहूँ
बेटा जब मेरा न रहा
तुम तो ठहरी बहू

तुमको लेकर देखा है
स्वप्न अनेकों मैंने
टूट चुकें है ठोकर खा
टूट गयें हैं डैने

मातृभक्त बनता था
गर्व मुझे था उस पर
मुझे निकाला दिल से
तुमने जबरन घुसकर

बेखुद सुत मेरा था कल
आज नहीं अधिकार
चुप रह जाता देख सामने
मुझ पर अत्याचार

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

बहू सोच रही है सासू माँ तुमसे क्या कुछ कहूँ बेटा जब मेरा न रहा तुम तो ठहरी बहू तुमको लेकर देखा है स्वप्न अनेकों मैंने टूट चुकें है ठोकर खा टूट गयें हैं डैने मातृभक्त बनता था गर्व मुझे था उस पर मुझे निकाला दिल से तुमने जबरन घुसकर बेखुद सुत मेरा था कल आज नहीं अधिकार चुप रह जाता देख सामने मुझ पर अत्याचार ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#बहू

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