रामचरित मानस की निन्दा सभ्य सभ्यता है शर्मि | हिंदी कविता Video

"रामचरित मानस की निन्दा सभ्य सभ्यता है शर्मिंदा।आईं न समझ है मानस जिनको उनको ही लगी है फन्दा।। भारत की गरिमा को घायल करने का प्रयत्न रहा है ये, राष्ट्र द्रोह सीमाएं अब पूछे ये कैसे अब है ‌ जिन्दा।। Harsh Sharma. ,, ©Harsh Sharma "

रामचरित मानस की निन्दा सभ्य सभ्यता है शर्मिंदा।आईं न समझ है मानस जिनको उनको ही लगी है फन्दा।। भारत की गरिमा को घायल करने का प्रयत्न रहा है ये, राष्ट्र द्रोह सीमाएं अब पूछे ये कैसे अब है ‌ जिन्दा।। Harsh Sharma. ,, ©Harsh Sharma

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