#विश्वहिंदीदिवस तू रहे सुहागन मात मेरी
मैं तेरी चूड़ी कंगन के लिए लिखता हूँ
मैं हिन्दपुत्र हिंदीभाषी हूँ
मेरी माँ हिंदी के लिए लिखता हूँ
महज़ भाषा ही नहीं नदियां भी यहां माता हैं
स्नेहदात्री माँ हिंदी को देववत्त पूजा जाता है
भाषा नदियों में कोई फर्क नहीं
अतः माँ गंगा नर्मदा कालिंदी के लिए लिखता हूँ
मैं हिन्दपुत्र हिंदीभाषी हूँ .........
भाषा हैं यहाँ और भी मौसी जैसी
पर वो चमक कहां फिरदौसी जैसी
दुनिया को चमकाए रखे ये मातl मेरी
इसकी हर किरण चिन्दी के लिए लिखता हूँ
मैं हिन्दपुत्र हिंदीभाषी हूँ.......
अपने ही आंगन में अब बेबस रह गई ये माँ
उम्मीद यही है शायद अब भी बच जाए जां
मैं नीरज हिंदी उपासक दास इसका
इसकी आज होती दरिंदगी के लिए लिखता हूँ
मैं हिन्दपुत्र हिंदीभाषी हूँ ..........
©Neeraj Vats
#worldhindiday #HindiDay