अपनों की खुशी की परवाह करता वो, फिर भी सब उससे रू | हिंदी Poetry

"अपनों की खुशी की परवाह करता वो, फिर भी सब उससे रूठ जाते हैं। गिर - गिर कर उठने की कोशिश करता, फिर भी कामयाबी के रास्ते छूट जाते हैं, जिम्मेदारियों के बोझ के तले हर बार उसके सपने टूट जाते हैं। दुखों के भार को हंसी खुशी वो ढोता सच में लड़का होना भी आसान नहीं होता। ©The Sanjana Bhatt"

 अपनों की खुशी की परवाह करता वो, 
फिर भी सब उससे रूठ जाते हैं।
गिर - गिर कर उठने की कोशिश करता,
 फिर भी कामयाबी के रास्ते छूट जाते हैं,
जिम्मेदारियों के बोझ के तले
हर बार उसके सपने टूट जाते हैं।

दुखों के भार को हंसी खुशी वो ढोता 
  सच में लड़का होना भी आसान नहीं होता।

©The Sanjana Bhatt

अपनों की खुशी की परवाह करता वो, फिर भी सब उससे रूठ जाते हैं। गिर - गिर कर उठने की कोशिश करता, फिर भी कामयाबी के रास्ते छूट जाते हैं, जिम्मेदारियों के बोझ के तले हर बार उसके सपने टूट जाते हैं। दुखों के भार को हंसी खुशी वो ढोता सच में लड़का होना भी आसान नहीं होता। ©The Sanjana Bhatt

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