White नहीं अफ़सोस करना है हमें थोड़ा सम्भलना है द | हिंदी कविता

"White नहीं अफ़सोस करना है हमें थोड़ा सम्भलना है दिले नादाँ दिले नादाँ नहीं तुझको बहकना है मिलेगी बाद में मंजिल अभी काँटों में चलना है मुसीबत से न घबराना इन्हें इक रोज ढलना है जमाने कर न दे पीछे हमें आगे निकलना है कोई समझे हमें कुछ भी नहीं परवाह करना है लड़ेंगे हम तो तूफ़ाँ से हमें साहिल पहुँचना है न दौलत से न शौहरत से किसी की यार जलना है नसीबा खूँ पसीने से हमें अपना बदलना है ©अज्ञात"

 White नहीं अफ़सोस करना है 
हमें थोड़ा सम्भलना है 

दिले नादाँ दिले नादाँ 
नहीं तुझको बहकना है
मिलेगी बाद में मंजिल 
अभी काँटों में चलना है 

मुसीबत से न घबराना 
इन्हें इक रोज ढलना है 
जमाने कर न दे पीछे
हमें आगे निकलना है 

कोई समझे हमें कुछ भी
नहीं परवाह करना है 
लड़ेंगे हम तो तूफ़ाँ से 
हमें साहिल पहुँचना है 

न दौलत से न शौहरत से
किसी की यार जलना है 
नसीबा खूँ पसीने से 
हमें अपना बदलना है

©अज्ञात

White नहीं अफ़सोस करना है हमें थोड़ा सम्भलना है दिले नादाँ दिले नादाँ नहीं तुझको बहकना है मिलेगी बाद में मंजिल अभी काँटों में चलना है मुसीबत से न घबराना इन्हें इक रोज ढलना है जमाने कर न दे पीछे हमें आगे निकलना है कोई समझे हमें कुछ भी नहीं परवाह करना है लड़ेंगे हम तो तूफ़ाँ से हमें साहिल पहुँचना है न दौलत से न शौहरत से किसी की यार जलना है नसीबा खूँ पसीने से हमें अपना बदलना है ©अज्ञात

#दिले नादाँ

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