इंकलाब का वो दीवाना था
इंकलाब जो उन्हें लाना था
23 वर्ष की उम्र में गले में फांसी का फंदा था
आज भी वो समा देश वासियों के दिलों में जिंदा था
तुमने अपना जीवन इस मातृभूमि पर कुर्बान किया
रंग दे बसंती चोला तुमने बहुत जल्दी ही ओढ़ लिया
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