न हक है नाराज़गी का कोई न मानए जाने की कोई उम्मीद | हिंदी शायरी

"न हक है नाराज़गी का कोई न मानए जाने की कोई उम्मीद न इन्कार की गुंजाइश कोई न सवालात का कोई दस्तूर ... ये काग़ज़ी रिश्ते है फ़कत दुनियां में दिखाने को ख़ामोशी से भूल जाओ ख़्वाहिशे सभी एक बे-खुद सा रिश्ता निभाने को... ©Mandavi singh"

 न हक है नाराज़गी का कोई 
न मानए जाने की कोई उम्मीद 

न इन्कार की गुंजाइश कोई 
न सवालात का कोई दस्तूर ...

ये काग़ज़ी रिश्ते है 
फ़कत दुनियां में दिखाने को 

ख़ामोशी से भूल जाओ ख़्वाहिशे सभी
एक बे-खुद सा रिश्ता निभाने को...

©Mandavi singh

न हक है नाराज़गी का कोई न मानए जाने की कोई उम्मीद न इन्कार की गुंजाइश कोई न सवालात का कोई दस्तूर ... ये काग़ज़ी रिश्ते है फ़कत दुनियां में दिखाने को ख़ामोशी से भूल जाओ ख़्वाहिशे सभी एक बे-खुद सा रिश्ता निभाने को... ©Mandavi singh

when you have to be in a relationship but you both are not emotionally attracted......

#Dark #Empty_heart #lonely #Quote

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