वो रईसों की महफ़िल में बैठकर, मेरी फकीरी का इम्तेहा | हिंदी शायरी

"वो रईसों की महफ़िल में बैठकर, मेरी फकीरी का इम्तेहान लेते है, बातें अरबो खरबो की करते है, ओर उधार पर सामान लेते है। ऋष्यन्त ©ऋष्यन्त"

 वो रईसों की महफ़िल में बैठकर,
मेरी फकीरी का इम्तेहान लेते है,
बातें अरबो खरबो की करते है,
ओर उधार पर सामान लेते है।

ऋष्यन्त

©ऋष्यन्त

वो रईसों की महफ़िल में बैठकर, मेरी फकीरी का इम्तेहान लेते है, बातें अरबो खरबो की करते है, ओर उधार पर सामान लेते है। ऋष्यन्त ©ऋष्यन्त

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