बस इतनी सी ही मेरी गम-ज़दा कहानी है
मुसीबतों में भी अपनों की बात मानी है
तुम्हें भुलाने की हसरत नयी सी है लेकिन
तुम्हें गले से लगाने की ज़िद पुरानी है
तेरे ख़याल से आशिक़ का हाल है अच्छा
मेरे ख़याल से आशिक़ की जान जानी है
जो आग दश्त में हमने कभी लगाई थी
वो आग फ़ैल रही है, हमें बुझानी है
गिरेंगे लाख दफ़ा फिर भी चलते जाएँगे
वो क्या चलेंगे जिन्हें खुद की जां बचानी है
हर एक चोट सिखाती है फ़लसफ़ा 'चंदन'
हमेशा सीखते रहना ही ज़िंदगानी है
©Taj civilian