मैं खुद को भूल कर तुझमें आवाद रहता हूँ जह | हिंदी कविता

"मैं खुद को भूल कर तुझमें आवाद रहता हूँ जहां भी सर झुके तेरी फ़रियाद करता हूँ रहें रूठे भला जितना ये अपना दिल समझता है मुझे तुम याद करती हो तुम्हें मैं याद करता हूँ ©Pushpendra Singh Rajput"

 मैं खुद को भूल कर
        तुझमें आवाद रहता हूँ 
जहां भी सर झुके
        तेरी फ़रियाद करता हूँ
रहें रूठे भला जितना
        ये अपना दिल समझता है
मुझे तुम याद करती हो
        तुम्हें मैं याद करता हूँ

©Pushpendra Singh Rajput

मैं खुद को भूल कर तुझमें आवाद रहता हूँ जहां भी सर झुके तेरी फ़रियाद करता हूँ रहें रूठे भला जितना ये अपना दिल समझता है मुझे तुम याद करती हो तुम्हें मैं याद करता हूँ ©Pushpendra Singh Rajput

#wetogether

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