ममता ना देखा कोई तुझ सा,
ना पाया कोई खुदा तुझ सा
करे नमन खुदा भी जिसको
वो कोई और नहीं बस तू है माँ |
इस दरिंदों की दुनिया में तेरे आंचल में बेखौफ खेलूं।
इन नकाबो की दुनिया में तुझ में बस एक ममता की मूर्त का नकाब देखू |
खुद के सपने कहीं पीछे छोड़,बच्चों के सपने साकार करती है ।
वो कोई और नहीं बस तू है मां, जो बिन कहे सब कुछ करती है |
जो बिन पगार 365 दिन काम करें,वीकेंड पर तेरा काम डबल हो जाए |
फिर भी थकान तुझे छू ना पाए |
खुद की जिंदगी ताउम्र, परिवार के लिए जिए |
बांधे रखे परिवार को प्यार से जो और खुद प्यार से विलीन रहे |
अपनी इच्छाओं को त्याग कर, बिन कहे सब कुछ कर दे| वो त्याग की मूर्त है तू।
वो कोई और नहीं बस तू है माँ |
अधिकारियों की खबर नहीं,जिम्मेदारी बखूबी जानती है|
अपना निवाला भी देकर,खुद खाली पेट सो जाती है|
बदकिस्मत है वह औलाद,जो तेरे बुढ़ापे में तेरा सहारा ना बन पाए।
ना दे पाए तुझे दो वक्त की रोटी,जो सजाती थी पकवानों से थाली उनकी |
ना समझ हैं वो उस कर्जे,जो ताउम्र उतारे ना उतरेगा|
वो बता कर तेरी ममता को फर्ज,खुद औलाद का फर्ज भूल जाते हैं |
फिर भी तू अपना आशीर्वाद बरसाए उन पर |
तू वो इंसानियत की मिसाल है माँ |
जिसे खुदा भी नमन करता है।
कैसे भूलू तुझे जिसने मुझे बनाया,
मेरे अस्तित्व को मेरी पहचान बनाया|
मुझे तो तूने बनाया,
मेरा तो खुदा भी तू और संसार भी तू|
ना देखा कोई तुझसा, ना पाया कोई खुदा तुझसा |
करे नमन खुदा भी जिसको,वो कोई और नहीं बस तू है माँ
©Nitu Rastogi
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