उदासी जाने कब तक जिंदा रहती है, जिस समय बहुत प्रेम था, बहुत कल्पनाएँ थीं, उसी में डूबे हुए दिन-रात गुज़र जाते थे, अब कोई पास आता है तो लगता है कि आँधी का झौंका, सर्द हवा बन के पास तो है पर बहुत उदास है,खैर!...तुम भी देखो, मैं ज़िंदा हूँ आज भी इन सबमें थोड़ा-थोड़ा सा बस यूं ही...!
©Samar Shem
#Alive