ये कागज की जुल्फे या शब्दो का फेर है, कुछ इस तरह | हिंदी कविता

"ये कागज की जुल्फे या शब्दो का फेर है, कुछ इस तरह उलझे है इनमे, न जाने सूंकु से जीने में कितनी अभी और देर है..। ©Hitesh Goyal"

 ये कागज की जुल्फे या शब्दो का फेर है, 
कुछ इस तरह उलझे है इनमे, न जाने सूंकु से जीने में कितनी अभी और देर है..।

©Hitesh Goyal

ये कागज की जुल्फे या शब्दो का फेर है, कुछ इस तरह उलझे है इनमे, न जाने सूंकु से जीने में कितनी अभी और देर है..। ©Hitesh Goyal

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