जो कभी, तुम्हे छोड़ कर चले जाऊं, तो याद, करोगे क्या तुम ?
हर मन्दिर, हर मस्जिद में, मेरे लौट आने की फरियाद, करोगे क्या तुम ?
जो कभी, तुम्हे और ना मना पाऊं, तो नाराज़, रहोगे क्या तुम ?
हर दफा तो मैं करता हूँ, इस दफा पहल करने का आगाज़, करोगे क्या तुम ?
जो कभी, तुम्हे दिल की बात ना बता पाऊं, तो मेरे अल्फाज़, बनोगे क्या तुम ?
चंद लम्हों की जिंदगी, बची है मेरी, मेरे साथ रहोगे क्या तुम ?
जो कभी, तुम्हे छोड़ कर चले जाऊं, तो याद, करोगे क्या तुम ?
हर मन्दिर, हर मस्जिद में, मेरे लौट आने की फरियाद, करोगे क्या तुम ?
# Rishav Anand
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