आजा तू मेरी बाहों में,जी भर के तुझको प्यार करूँ!
अपनी चाहत की बारिश से,तुझपे मैं सनम बौछार करूँ।
इन तेरी नशीली आँखों ने,मुझको तो घायल कर डाला।
मदमस्त तेरी इन बातों ने,मुझको तो पागल कर डाला।
देदे तू इज़ाज़त अब मुझको,मैं आज समा जाऊं तुझमे।
तू भी अब छोड़ दे शर्मो-हया, तू भी खो जा बस अब मुझमे।
तेरे प्यार के गहरे सागर में,जी करता है मैं खो जाऊँ।
तेरी जुल्फों की छांव में,मैं खुद को भुलाके सो जाऊँ।
मैं तोहफा दूँ तुझको ऐसा,तुझे याद रहे वो जीवन भर,
अब सोच न ज्यादा तू दिलबर,आशिक पे अपने भरोसा कर।
खाता हूं कसम तेरे सर की,तुझे छोड़ कहीं न जाऊंगा।
करता हूँ प्यार तुझे दिल से,उसे मरते दम तक निभाउंगा।
करता हूँ प्यार तुझे दिल से,उसे मरते दम तक निभाउंगा।
कवि-दीपक शर्मा।
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