मन बहुत दुखी है रोता है हैप्पी रमजान कहूँ कैसे। अत

"मन बहुत दुखी है रोता है हैप्पी रमजान कहूँ कैसे। अतिथि को हमने देव कहा तुमको मेहमान कहूँ कैसे। तुम मानवता के द्रोही हो , तुम बहशी और दरिंदे हो, तुम दिखते हो इंसान मगर तुमको इंसान कहूँ कैसे। ©Ketan Tripathi"

 मन बहुत दुखी है रोता है हैप्पी रमजान कहूँ कैसे।
अतिथि को हमने देव कहा तुमको मेहमान कहूँ कैसे।
तुम मानवता के द्रोही हो , तुम बहशी और दरिंदे हो, 
तुम दिखते हो इंसान मगर तुमको इंसान कहूँ कैसे।

©Ketan Tripathi

मन बहुत दुखी है रोता है हैप्पी रमजान कहूँ कैसे। अतिथि को हमने देव कहा तुमको मेहमान कहूँ कैसे। तुम मानवता के द्रोही हो , तुम बहशी और दरिंदे हो, तुम दिखते हो इंसान मगर तुमको इंसान कहूँ कैसे। ©Ketan Tripathi

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