LOVE वास्तव में प्रेम का
सच्चा या झूठा जैसा कोई प्रकार नही होता
बल्कि प्रेम तो स्वयं ही शास्वत सत्य है
प्रेम की परछाई भी जहां है
वहाँ "सत्य"स्वयम स्थापित है
विश्वास की जड़े वहाँ सदैव मजबूत है
बाकी इसके अलावा जो कुछ भी
हम दुनिया मे देखते है
वो प्रेम नही सिर्फ उसका अपमान है...
©कृतान्त अनन्त नीरज...
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