लफ़्ज़ों में समेट लेती है जज़्बात-ए-ख़ामोशी अक्सर, | हिंदी कविता

"लफ़्ज़ों में समेट लेती है जज़्बात-ए-ख़ामोशी अक्सर, मैं और मेरी तनहाइयों की फक़त इक कलम हमसफ़र!"

 लफ़्ज़ों में समेट लेती है जज़्बात-ए-ख़ामोशी अक्सर,
मैं और मेरी तनहाइयों की फक़त इक कलम हमसफ़र!

लफ़्ज़ों में समेट लेती है जज़्बात-ए-ख़ामोशी अक्सर, मैं और मेरी तनहाइयों की फक़त इक कलम हमसफ़र!

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