थोड़ा-थोड़ा ही करके रोज उसे पढ़ती हूँ..!! #मेरी_रुह© | हिंदी कविता V

"थोड़ा-थोड़ा ही करके रोज उसे पढ़ती हूँ..!! #मेरी_रुह©"

थोड़ा-थोड़ा ही करके रोज उसे पढ़ती हूँ..!! #मेरी_रुह©

#Chaahat

वो मेरी ख़्वाहिश है
वो मेरी आज़माइश है
मैं बिखरी हूँ हर शाम
वो मेरी फ़रमाइश है.......!!

#मेरी_रुह©

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