हाँ मैं भी आज़ाद हूँ, खुला आसमान ये तेज़ हवाएं.. मा | हिंदी कविता
"हाँ मैं भी आज़ाद हूँ, खुला आसमान ये तेज़ हवाएं..
मानो ईश्वर की फरियाद हूं!
मैं उड़ता हुआ परिंदा सा..
बेपरवाह बेबाक हूं!
मैं दुबकी हुई तीसों के भीतर
ना आने वाली याद हूं!
लिखने को लाचार नहीं मैं
हां मैं भी आजाद हूं!"
हाँ मैं भी आज़ाद हूँ, खुला आसमान ये तेज़ हवाएं..
मानो ईश्वर की फरियाद हूं!
मैं उड़ता हुआ परिंदा सा..
बेपरवाह बेबाक हूं!
मैं दुबकी हुई तीसों के भीतर
ना आने वाली याद हूं!
लिखने को लाचार नहीं मैं
हां मैं भी आजाद हूं!