तुमसे मिलने के लिए मुझे बस इंतज़ार करना पड़ा, तुमसे | हिंदी शायरी

"तुमसे मिलने के लिए मुझे बस इंतज़ार करना पड़ा, तुमसे मिलने के लिए मुझे यात्राएं नहीं करनी पड़ी। मेरी कविताओं में तुम्हारा जिक्र धरती पे पानी होने जितना सच है तुम्हारी तारीफ करने के लिए मुझे कविताएं नही पढ़नी पड़ी। मै उन तमाम जगहों पे गया, जहाँ हम मिलना चाहते थे, वो जगहें याद रखने के लिए मुझे मेहनत नही करनी पड़ी। मैंने तुमसे वो हर बात की जो तुम्हारे लिए बचा के रखी थी, तुम तक आने के लिए मुझे ज्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ी। शहर की हर रेलगाड़ी तुम्हारे घर जाने की कोशिश में थी, मैं जब तक सफर में रहा, मुझे पटरियां नही बदलनी पड़ी। ©Rmn"

 तुमसे मिलने के लिए मुझे बस इंतज़ार करना पड़ा,
तुमसे मिलने के लिए मुझे यात्राएं नहीं करनी पड़ी।
मेरी कविताओं में तुम्हारा जिक्र धरती पे पानी होने जितना सच है
तुम्हारी तारीफ करने के लिए मुझे कविताएं नही पढ़नी पड़ी।
मै उन तमाम जगहों पे गया, जहाँ हम मिलना चाहते थे,
वो जगहें  याद रखने के लिए मुझे मेहनत नही करनी पड़ी।
मैंने तुमसे वो हर बात की जो तुम्हारे लिए बचा के रखी थी,
तुम तक आने के लिए मुझे ज्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ी।
शहर की हर रेलगाड़ी तुम्हारे घर जाने की कोशिश में थी,
मैं जब तक सफर में रहा, मुझे पटरियां नही बदलनी पड़ी।

©Rmn

तुमसे मिलने के लिए मुझे बस इंतज़ार करना पड़ा, तुमसे मिलने के लिए मुझे यात्राएं नहीं करनी पड़ी। मेरी कविताओं में तुम्हारा जिक्र धरती पे पानी होने जितना सच है तुम्हारी तारीफ करने के लिए मुझे कविताएं नही पढ़नी पड़ी। मै उन तमाम जगहों पे गया, जहाँ हम मिलना चाहते थे, वो जगहें याद रखने के लिए मुझे मेहनत नही करनी पड़ी। मैंने तुमसे वो हर बात की जो तुम्हारे लिए बचा के रखी थी, तुम तक आने के लिए मुझे ज्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ी। शहर की हर रेलगाड़ी तुम्हारे घर जाने की कोशिश में थी, मैं जब तक सफर में रहा, मुझे पटरियां नही बदलनी पड़ी। ©Rmn

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