"इश्क ही नादान था या नादानी में इश्क हुआ
कमबख़्त यह इश्क बड़ा बेईमान होता है l
हंसकर अभी उनसे बात भी खूब होती हैं
मगर हिज्र में अक्सर अश्क बदनाम होता है l
मासूमियत देखकर मासूमियत से मिल गए थे
मगर हुस्न का नशा भी बहुत बेकार होता है l
हवायें भी मुझसे कहतीं हैं अब मिला ना करो
दिल है कि मुलाकात के लिए बेकरार होता है l
दिललगी में तुम्हारे वफ़ा की कसमें तो हजारों थीं
मुलाकात से पता चला हर शख्स़ बेवफ़ा होता है l
© अभिषेक तन्हा"