"माना अंधेरा घाना है,
सूरज भी छिप गया कालिमा की आड़ में,
मगर अंत यह ना होगा मेरी कहानी का,
जाग रहा हूँ,
तम की चिर निद्रा को तोड़,
भटका हुआ हूँ मगर,
मंजिल मिलेगी सब बाधाओ को छोड़।
माना अंधेरा घाना है,
सूरज भी छिप गया कालिमा की आड़ में,
मगर अंत यह ना होगा मेरी कहानी का।
©Prashant Roy
"