#Labour_Day भूखा नंगा बचपन जब फुटपाथ किनारे रोता ह | हिंदी कविता

"#Labour_Day भूखा नंगा बचपन जब फुटपाथ किनारे रोता है भार युवावस्था का जब नन्हे कंधो पर ढोता है जब मासूमों के ऊपर सब जिम्मेदारी होती है जब दो वक्त की रोटी उनकी दुनिया सारी होती है जब पुस्तक वाले हाथों में रेडी ठेले होते हैं तब सोने की चिड़िया के पर क्यों ना मैले होते हैं जब इनके भविष्य का व्यापक समाधान हो जाएगा सच कहती हूं मेरा भारत फिर महान हो जाएगा ©Priya Chaturvedi"

 #Labour_Day भूखा नंगा बचपन जब फुटपाथ किनारे रोता है
भार युवावस्था का जब नन्हे कंधो पर ढोता है
जब मासूमों के ऊपर सब जिम्मेदारी होती है
जब दो वक्त की रोटी उनकी दुनिया सारी होती है
जब पुस्तक वाले हाथों में रेडी ठेले होते हैं
तब सोने की चिड़िया के पर क्यों ना मैले होते हैं
जब इनके भविष्य का व्यापक समाधान हो जाएगा
 सच कहती हूं मेरा भारत फिर महान हो जाएगा

©Priya Chaturvedi

#Labour_Day भूखा नंगा बचपन जब फुटपाथ किनारे रोता है भार युवावस्था का जब नन्हे कंधो पर ढोता है जब मासूमों के ऊपर सब जिम्मेदारी होती है जब दो वक्त की रोटी उनकी दुनिया सारी होती है जब पुस्तक वाले हाथों में रेडी ठेले होते हैं तब सोने की चिड़िया के पर क्यों ना मैले होते हैं जब इनके भविष्य का व्यापक समाधान हो जाएगा सच कहती हूं मेरा भारत फिर महान हो जाएगा ©Priya Chaturvedi

#Labour_Day

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