White दिल ए ख्वाहिशें अब बुतों की शक्ल में हो गय | हिंदी Life

"White दिल ए ख्वाहिशें अब बुतों की शक्ल में हो गया है इंसान लोग पहचान नहीं पाते मुर्दा हैं कि ज़िंदा है... शक्लें मायूस हो चली हैं, गुमसुम से मुखौटों में, छू छू के देखो तो सही, कुछ जीने के निशां बाकी हैं! दिल तो धड़क रहा है पर क्यों है ये बेदम सा, सांसे भी चल रही है पर क्यूं है ये उखड़ी सी... दिन ये गुजर रहे हैं, कुछ ऐसी मायूसियों में , ये शाम कब ढलेगी, वोह सुबह तब जगेगी.... वोह शाम और सुबहों के, फासले ..अब जल्द कम हों, मिखौटों और बुतों के मानिंद अब क्यूं हम हों... वोह ज़िन्दगी की रंगीनियां, वोह दोस्तों से लिपटना, वोह दूरियों से ,बेदम, अब क्यों यूं घुट के रहना.... ऐ ज़िन्दगी तू हमको, ज़िंदादिली लौटा दे, वोह कहकशां ,वोह बातें, वोह पंछियों सा चहकना, वोह प्यारी मीठी बातें, वोह भीनी भीनी यादें, वोह दोस्तों से मिलना, और निभाने दे, वादे.... तब ही संवर सकेगी, यह ज़िन्दगी हमारी, ऐ खुदा, हे ईश्वर,,, फिर गुज़रे दिन लौटा दे, फिर गुज़रा वक्त ला दे....🙏🙏🙏 ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *"

 White दिल ए ख्वाहिशें

अब बुतों की शक्ल में  हो गया है इंसान
लोग पहचान नहीं पाते मुर्दा हैं कि ज़िंदा है...

शक्लें मायूस हो चली हैं, गुमसुम से मुखौटों में,
छू छू के देखो तो सही, कुछ जीने के निशां बाकी  हैं!

दिल तो धड़क रहा है पर क्यों है ये  बेदम सा,
सांसे भी चल रही है पर क्यूं है ये उखड़ी सी...

दिन ये गुजर रहे हैं,  कुछ ऐसी मायूसियों में ,
ये शाम कब ढलेगी, वोह सुबह तब जगेगी....

वोह शाम और सुबहों के, फासले ..अब जल्द कम हों,
मिखौटों और बुतों के मानिंद अब क्यूं हम हों...

वोह ज़िन्दगी की रंगीनियां, वोह दोस्तों से लिपटना,
वोह दूरियों से ,बेदम, अब क्यों यूं घुट के रहना....

ऐ ज़िन्दगी तू हमको, ज़िंदादिली लौटा दे,
वोह कहकशां ,वोह बातें, वोह पंछियों सा चहकना,

वोह प्यारी मीठी बातें, वोह भीनी भीनी यादें,
वोह दोस्तों से मिलना,
और निभाने दे, वादे....

तब ही संवर सकेगी, यह ज़िन्दगी हमारी,
ऐ खुदा, हे ईश्वर,,, फिर गुज़रे दिन लौटा दे,
फिर गुज़रा वक्त ला दे....🙏🙏🙏

©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

White दिल ए ख्वाहिशें अब बुतों की शक्ल में हो गया है इंसान लोग पहचान नहीं पाते मुर्दा हैं कि ज़िंदा है... शक्लें मायूस हो चली हैं, गुमसुम से मुखौटों में, छू छू के देखो तो सही, कुछ जीने के निशां बाकी हैं! दिल तो धड़क रहा है पर क्यों है ये बेदम सा, सांसे भी चल रही है पर क्यूं है ये उखड़ी सी... दिन ये गुजर रहे हैं, कुछ ऐसी मायूसियों में , ये शाम कब ढलेगी, वोह सुबह तब जगेगी.... वोह शाम और सुबहों के, फासले ..अब जल्द कम हों, मिखौटों और बुतों के मानिंद अब क्यूं हम हों... वोह ज़िन्दगी की रंगीनियां, वोह दोस्तों से लिपटना, वोह दूरियों से ,बेदम, अब क्यों यूं घुट के रहना.... ऐ ज़िन्दगी तू हमको, ज़िंदादिली लौटा दे, वोह कहकशां ,वोह बातें, वोह पंछियों सा चहकना, वोह प्यारी मीठी बातें, वोह भीनी भीनी यादें, वोह दोस्तों से मिलना, और निभाने दे, वादे.... तब ही संवर सकेगी, यह ज़िन्दगी हमारी, ऐ खुदा, हे ईश्वर,,, फिर गुज़रे दिन लौटा दे, फिर गुज़रा वक्त ला दे....🙏🙏🙏 ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

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