कुछ तो झूठ था जो मेरे ही सच को झुठला रहा था और एक | हिंदी Love
"कुछ तो झूठ था जो मेरे ही सच को झुठला रहा था
और एक सच भी था जो ख़ुद सच होने से घबरा रहा था
हाँ कुछ था ऐसा जो अनसुलझा और बेनाम ही रह जाना था
इसीलिये छोड़ दिया मैंने वो रास्ता जो मेरी मंज़िलों से अनजाना था"
कुछ तो झूठ था जो मेरे ही सच को झुठला रहा था
और एक सच भी था जो ख़ुद सच होने से घबरा रहा था
हाँ कुछ था ऐसा जो अनसुलझा और बेनाम ही रह जाना था
इसीलिये छोड़ दिया मैंने वो रास्ता जो मेरी मंज़िलों से अनजाना था