मोर पसंद के झुमका अऊ बिंदी अपन माथा मा लगाय हे। सु | हिंदी शायरी

"मोर पसंद के झुमका अऊ बिंदी अपन माथा मा लगाय हे। सुघ्घर साज सवर के आज ओ हा मोर मन ला मोहाय हे। एकोघाव नई देखे रहे हो यार ओला सुघ्घर साढ़ी पहिने, फेर आज ओला देखेव ता मिले बर मोला निच्चट तरसाय हे। ©_Ram_Laxman_"

 मोर पसंद के झुमका अऊ बिंदी अपन माथा मा लगाय हे।
सुघ्घर साज सवर के आज ओ हा मोर मन ला मोहाय हे।


एकोघाव नई देखे रहे हो यार ओला सुघ्घर साढ़ी पहिने,
फेर आज ओला देखेव ता मिले बर मोला निच्चट तरसाय हे।

©_Ram_Laxman_

मोर पसंद के झुमका अऊ बिंदी अपन माथा मा लगाय हे। सुघ्घर साज सवर के आज ओ हा मोर मन ला मोहाय हे। एकोघाव नई देखे रहे हो यार ओला सुघ्घर साढ़ी पहिने, फेर आज ओला देखेव ता मिले बर मोला निच्चट तरसाय हे। ©_Ram_Laxman_

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