कि ज़िक्र जो हुआ महफ़िल में उसका मुझे ख़ुद पे ही | हिंदी शायरी

"कि ज़िक्र जो हुआ महफ़िल में उसका मुझे ख़ुद पे ही गुमान आया ख़ुदा समझ रहे हैं आज वो जिसे कभी उसने ही मुझे अपना ख़ुदा था बनाया.... ©मिली'महताब'"

 कि ज़िक्र जो हुआ 
महफ़िल में उसका 
मुझे ख़ुद पे ही गुमान आया 
ख़ुदा समझ रहे हैं 
आज वो जिसे 
कभी उसने ही 
मुझे अपना ख़ुदा था बनाया....

©मिली'महताब'

कि ज़िक्र जो हुआ महफ़िल में उसका मुझे ख़ुद पे ही गुमान आया ख़ुदा समझ रहे हैं आज वो जिसे कभी उसने ही मुझे अपना ख़ुदा था बनाया.... ©मिली'महताब'

#ख़ुदा

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