गुमनाम शहर था रात कूछ अंजान थी ? पर रास्ता कूछ पहच
"गुमनाम शहर था रात कूछ अंजान थी ?
पर रास्ता कूछ पहचाना था!
मूक्कमल रास्ता सूनसानी साजीश का था!
खूशियो की भरमार मे ,
खामोशियो के मार मे!
नवाब रास्ते बन गए शब्द शिकार हो गए ;
अल्फाजो की मार मे रास्ते गूमनाम हो गए,।।
kss....."
गुमनाम शहर था रात कूछ अंजान थी ?
पर रास्ता कूछ पहचाना था!
मूक्कमल रास्ता सूनसानी साजीश का था!
खूशियो की भरमार मे ,
खामोशियो के मार मे!
नवाब रास्ते बन गए शब्द शिकार हो गए ;
अल्फाजो की मार मे रास्ते गूमनाम हो गए,।।
kss.....