पिता को समर्पित... सुखा दरख़्त  ––––&ndas

"पिता को समर्पित... सुखा दरख़्त  –––––·––––––––––––––– न पत्ता बचा न रही डाली और न ही रही उस पर हरियाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। न आती बहारे न मौसम बदलते न लौट के आती अब खुशहाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। न तूफान डराते न बारिश में भीगाते  देखो कैसी हुई उसकी अब बदहाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। न पंछी आते न घर बसाते किस की करे वो अब रखवाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। अड़ा कड़ी धूप में ठूंठ बनके  न बैठक होती वहां अब पंचों वाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। #vineetapanchal  "

पिता को समर्पित... सुखा दरख़्त  –––––·––––––––––––––– न पत्ता बचा न रही डाली और न ही रही उस पर हरियाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। न आती बहारे न मौसम बदलते न लौट के आती अब खुशहाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। न तूफान डराते न बारिश में भीगाते  देखो कैसी हुई उसकी अब बदहाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। न पंछी आते न घर बसाते किस की करे वो अब रखवाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। अड़ा कड़ी धूप में ठूंठ बनके  न बैठक होती वहां अब पंचों वाली वो... दरख़्त बस मायूस खड़ा है। #vineetapanchal 

#love #Papa #sukhadarakht

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