अब जीने की ख्वाहिश है नही बस दिदारे जहन्नुम बाकी ह | हिंदी शायरी

"अब जीने की ख्वाहिश है नही बस दिदारे जहन्नुम बाकी है तेरे दर से ठुकराया गया जन्नत मे सुकून अब क्या होगा।। ©SHAILESH TIWARI"

 अब जीने की ख्वाहिश है नही
बस दिदारे जहन्नुम बाकी है
तेरे दर से ठुकराया गया 
जन्नत मे सुकून अब क्या होगा।।

©SHAILESH TIWARI

अब जीने की ख्वाहिश है नही बस दिदारे जहन्नुम बाकी है तेरे दर से ठुकराया गया जन्नत मे सुकून अब क्या होगा।। ©SHAILESH TIWARI

सुकून

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