कुछ नही अब वो सम्मान चाहिए,
उठी है कलम तो कुछ तो
तीखा लिखेगी और शिक्षक
की गरिमा का अब हिसाब चाहिए,
और अब लोकतंत्र वाले देश में
तानाशाही पर लगाम चाहिए ,
निजी ,विमान और वातानुकूलित
प्रांगण में बैठने वाले क्या दर्द जाने ,
गर्म हवाओं और बरसात से टपकती
छतों के नीचे बैठने वाले शिक्षक
को भी पसीना पोंछने के लिए
वो सरकार की तरफ से राहत
का रूमाल चाहिए ,
चाह नहीं कुछ ज्यादा हमारी
बस बस हमारी हमें पहचान चाहिए
अब हर शिक्षक को उसका सम्मान चाहिए।।
©Anshul srivastava
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