इज़हार रुसवाई का डर नहीं है मुझको ए - जालिम गर होत | हिंदी शायरी

"इज़हार रुसवाई का डर नहीं है मुझको ए - जालिम गर होता, तो तुझसे कभी मोहब्बत ना करते..."

 इज़हार  रुसवाई का डर नहीं है
मुझको ए - जालिम
गर होता, 
तो तुझसे कभी 
मोहब्बत ना करते...

इज़हार रुसवाई का डर नहीं है मुझको ए - जालिम गर होता, तो तुझसे कभी मोहब्बत ना करते...

Jajbaat

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