समेटते रह गए दिल के टुकड़ों को हम हर ज़र्रे में | हिंदी Shayari

"समेटते रह गए दिल के टुकड़ों को हम हर ज़र्रे में टूटे सपने और हम खुशियां और ख़्वाब समेटते रहे खेल कर गए वो हमारे दिल से जाने किस रकीब के लिए और हम वो शख्स थे जनाब जो बिखरे हुए थे हर तरह से मगर उनसे इक शिकायत तक न किए ©Vk Vivek"

 समेटते रह  गए दिल के टुकड़ों को हम हर ज़र्रे में
 
टूटे सपने और हम खुशियां और ख़्वाब समेटते
 रहे
खेल कर गए वो हमारे दिल से जाने किस रकीब के लिए 
और हम वो शख्स थे जनाब जो बिखरे हुए थे हर तरह से मगर उनसे इक शिकायत तक न किए

©Vk Vivek

समेटते रह गए दिल के टुकड़ों को हम हर ज़र्रे में टूटे सपने और हम खुशियां और ख़्वाब समेटते रहे खेल कर गए वो हमारे दिल से जाने किस रकीब के लिए और हम वो शख्स थे जनाब जो बिखरे हुए थे हर तरह से मगर उनसे इक शिकायत तक न किए ©Vk Vivek

#toyheart #alfaaz_E_vivek

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