चाहत के बागीचे मे,सुमन मिलन के खिलते रहें निष्ठा क

"चाहत के बागीचे मे,सुमन मिलन के खिलते रहें निष्ठा के नूतन धागे से,हम प्रेम वसन सिलते रहें चाहें समय बदलता रहे पर हम ना बदलें कभी आज मिले जैसे हम,वैसे सदा सदा मिलते रहें ©Jitendra Pandey"

 चाहत के बागीचे मे,सुमन मिलन के खिलते रहें
निष्ठा के नूतन धागे से,हम प्रेम वसन सिलते रहें
चाहें समय बदलता रहे पर हम ना बदलें कभी
आज मिले जैसे हम,वैसे सदा सदा मिलते रहें

©Jitendra Pandey

चाहत के बागीचे मे,सुमन मिलन के खिलते रहें निष्ठा के नूतन धागे से,हम प्रेम वसन सिलते रहें चाहें समय बदलता रहे पर हम ना बदलें कभी आज मिले जैसे हम,वैसे सदा सदा मिलते रहें ©Jitendra Pandey

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