मां तेरा आंचल फिर चाहता हूं  थक गया मां,  चैन क | हिंदी Poet

"मां तेरा आंचल फिर चाहता हूं  थक गया मां,  चैन के पल जीना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके ,  मैं कुछ पल रोना चाहता हूं|  मर्द बन गया मैं भी,  जिम्मेदारी तले मैं भी दबना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके,  कुछ पल सोना चाहता हूं |  हार गया क्या मैं जीवन से?  रिश्तो की राजनीति करना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके ,  सच तुझको कहना चाहता हूं|  अच्छा बुरा मुझे कौन समझाए?  एक पल स्थिर रहना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके,  मैं भी अब हंसना चाहता हूं|  कल आएगा और जाएगा,  वक्त यूं ही कट जाएगा,  तेरे आंचल में छुपके ,  आलिंगन तुझको करना चाहता हूं|  मौत तय वक्त पर ही आएगी,  जिंदगी की जंग क्या हरा पाएगी?  तेरे आंचल में छुपके ,  दूसरा जन्म ना मैं चाहता हूं |  माँ तेरा आँचल फिर चाहता हूँ   "

मां तेरा आंचल फिर चाहता हूं  थक गया मां,  चैन के पल जीना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके ,  मैं कुछ पल रोना चाहता हूं|  मर्द बन गया मैं भी,  जिम्मेदारी तले मैं भी दबना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके,  कुछ पल सोना चाहता हूं |  हार गया क्या मैं जीवन से?  रिश्तो की राजनीति करना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके ,  सच तुझको कहना चाहता हूं|  अच्छा बुरा मुझे कौन समझाए?  एक पल स्थिर रहना चाहता हूं,  तेरे आंचल में छुपके,  मैं भी अब हंसना चाहता हूं|  कल आएगा और जाएगा,  वक्त यूं ही कट जाएगा,  तेरे आंचल में छुपके ,  आलिंगन तुझको करना चाहता हूं|  मौत तय वक्त पर ही आएगी,  जिंदगी की जंग क्या हरा पाएगी?  तेरे आंचल में छुपके ,  दूसरा जन्म ना मैं चाहता हूं |  माँ तेरा आँचल फिर चाहता हूँ  

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