मैं ज़िंदगी के उस मोड़ पर खड़ा हूं जहां ख़ुद से | हिंदी Shayari

"मैं ज़िंदगी के उस मोड़ पर खड़ा हूं जहां ख़ुद से ही मैं कई बार लड़ा हूँ, जबसे हक़ीक़त सामने आयी है मैं हर शख़्स को छोड़ कर खड़ा हूँ अपनी हर उम्मीद को तोड़ कर खड़ा हूं मुश्किलें भी मुझसे हार मान गयीं इन्हें भी पता है की मैं इनसे बड़ा हूं । ©izhar writes123"

 मैं ज़िंदगी के उस मोड़ पर खड़ा हूं 
 जहां ख़ुद से ही मैं कई बार लड़ा हूँ, 
जबसे हक़ीक़त सामने आयी है
 मैं हर शख़्स को छोड़ कर खड़ा हूँ 
अपनी हर उम्मीद को तोड़ कर खड़ा  हूं
मुश्किलें भी मुझसे हार मान गयीं
 इन्हें भी पता है की मैं इनसे बड़ा हूं ।

©izhar writes123

मैं ज़िंदगी के उस मोड़ पर खड़ा हूं जहां ख़ुद से ही मैं कई बार लड़ा हूँ, जबसे हक़ीक़त सामने आयी है मैं हर शख़्स को छोड़ कर खड़ा हूँ अपनी हर उम्मीद को तोड़ कर खड़ा हूं मुश्किलें भी मुझसे हार मान गयीं इन्हें भी पता है की मैं इनसे बड़ा हूं । ©izhar writes123

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