यूं तो चहते थे लोग लाखों मुझे
मगर जो देखो किसी एक के भी सीने में झांक कर तो लोग लाखों मिलेंगे।।
और हुआ जो जुदा
वो मेरा सबसे अजीज़ मुझसे
ना पूछो की फिर मैं किस किस का हुआ।।
तोड़ दिया कल रात को
मैंने मेरा ही आइना
कंबख्त अंधेरे के बाद
जलाया जो दिया तो
आईने में भी उसकी परछाई दिखी।।
डर है की बेबाक ना हो जाऊं
उसे सामने देख
की जबसे गया
ख़ामोशी दे गया है।।
रखता हूं कलेजे को अब पत्थर अपने
जो कोई दिल कहे
तो चोट खा जाता है।।
©Shubham Mishra (Raj)
यूं तो चहते थे लोग लाखों मुझे
मगर जो देखो किसी एक के भी सीने में झांक कर तो लोग लाखों मिलेंगे।।
और हुआ जो जुदा
वो मेरा सबसे अजीज़ मुझसे
ना पूछो की फिर मैं किस किस का हुआ।।